धनबाद।सफलता का मतलब सिर्फ पैसा, पद और शोहरत नहीं। समाज की बेहतरी के लिए काम करना ही असली सफलता है। देश के नामचीन संस्थानों से उच्च तकनीकी शिक्षा हासिल करनेवाले इन युवाओं का कुछ ऐसा ही मानना है। इन्होंने डिग्रियां हासिल करने के बाद समाज सेवा को ही अपना करियर बना लिया है। इन युवाओं में आईआईटी की डिग्री वाले इंजीनियर भी हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंट भी। कुछ ने अपना करोड़ों का कारोबार बंद कर गांवों की तरक्की में योगदान देना बेहतर समझा। इन युवाओं ने अपने कार्यक्षेत्र को सोशल सेक्टर का नाम दिया है। इनके सहपाठी जहां मल्टीनेशनल कंपनियों में काफी पैसे कमा रहे हैं, वहीं ये लोग गांव की धूल में फूल खिलाने की कोशिशों में लगे हैं। बदले में उन्हें दौलत भले ही कम मिलें, लोगों का प्यार और दुआएं भरपूर मिलती हैं।
इंजीनियर और चार्टर्ड अकाउंटेंट भी हैं शामिल
उच्च शिक्षा प्राप्त 15-20 ऐसे युवा धनबाद के ग्रामीण इलाकों में बुनियादी शिक्षा, आरटीआई समेत कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इन युवाओं में चार इंजीनियर और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) शामिल हैं। प्रशांत पाठक ने आईआईटी रूड़की से और सुचित्रा ने हैरिटेज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। अभिषेक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और अपना अच्छा-खासा व्यवसाय छोड़ सोशल सेक्टर में आए हैं।
क्यों आया बदलाव
समाज के प्रति इन युवाओं के सोच में बदलाव एक दिन में नहीं हुआ। भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठ रही आवाज और सामाजिक बदलाव के लिए मची उथल-पुथल ने उनकी राह बदली है। इसमें इनके संस्थानों का योगदान भी कम नहीं है। नामचीन शिक्षण संस्थानों में छात्रों ने एनजीओ बना रखे हैं, जहां वे समाज सेवा की शिक्षा भी हासिल कर रहे हैं।बड़ा हो रहा कारवां :ऐसे युवाओं का कारवां लगातार बड़ा होता जा रहा है। आईएसएम के पासआउट अंबर जैन, अंशुल जैन, सुदर्शन सहित 12 छात्र भी ग्रामीण इलाकों में रोशनी फैलाने उतर आए हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
समाज बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इस बदलाव से युवा भी अछूते नहीं हैं। ऐसे में युवा मल्टीनेशनल कंपनियों की नौकरी छोड़ कर समाज सेवा के क्षेत्र काम करने के लिए आगे आ रहे हैं, तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। संदीप पांडेय और अरविंद केजरीवाल जैसे लोग इन युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं।
- डॉ आरएस यादव, मनोवैज्ञानिक
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हमें गर्व हैं इन नौजवानों पर..
जानकर अच्छा लगा। "उठो, जागो और लक्ष्य-प्राप्ति तक विश्राम नलो"
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