कुरुक्षेत्र. प्रभुदयाल पोलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य देव राज अरोड़ा और भारत विकास परिषद के संयुक्त सहयोग से हरियाणा पाल धर्मशाला में मंगलवार से 16 दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा एवं प्रशिक्षण शिविर शुरू किया गया। उद्घाटन रिटायर्ड आईएएस डा. रामभक्त लांग्यान ने किया।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा से रोगों को जड़ से मिटाया जा सकता है, इससे किसी प्रकार का साइड इफेक्ट नहीं होता। इसमें विश्वास वैकल्पिक चिकित्सा एवं प्रशिक्षण संस्थान गंगानगर से डा. राकेश शर्मा के नेतृत्व में डा. वीएस थिंद, डा. कपिल कांसल, डा. अशोक झोरड़ व डा. सतविंद्र सिंह राठौड़ की टीम ने मरीजों की जांच की। शिविर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से सिरदर्द, माइग्रेन, थाइराइड, हृदय रोग, दमा, एलर्जी, चर्म रोग, पेट की तकलीफ सरवाइकल का उपचार किया जाएगा। डीआर अरोड़ा ने कहा कि लोगों की जरूरत और तकलीफ को ध्यान में रखते हुए शिविर का आयोजन किया गया है। मौके पर परिषद के क्षेत्रीय चेयरमेन सीपी आहूजा, जिला सचिव राकेश गुलाटी, कोषाध्यक्ष रजनीश गुप्ता, मुलतान सभा के संरक्षक कृष्ण मेहता, धर्मशाला के प्रधान रिछपाल पाल उपस्थित थे।
प्राकृतिक चिकित्सा से हुआ लाभ: यशोदा अरोड़ा ने बताया कि वह गठिया रोग से परेशान थी, इसके लिए उन्होंने कई नामी चिकित्सा संस्थाओं में इलाज करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उनके एक रिश्तेदार ने उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से इलाज करवाने के लिए प्रोत्साहित किया। वे तीन मार्च, 2010 को फतेहाबाद में लगे शिविर में गई और एक सप्ताह में ही उन्हें फायदा नजर आने लगा। तब उन्होंने डाक्टर की बताई सुजोक विधि को नियमित रूप से किया और वह अब सही हैं। पाल धर्मशाला में लगे शिविर में वे मरीजों का रजिस्ट्रेशन कर रही थीं। महिला के पति डीआर अरोड़ा ने कहा कि शिविर में हुए फायदे से प्रेरित होकर उन्होंने दूसरी बार इस कैंप का आयोजन किया।
सुजोक पद्धति से बनता है संतुलित शरीर: शिविर में प्राकृतिक पद्धति से उपचार कर रहे डा. राकेश शर्मा ने कहा कि मरीजों का सुजोक पद्धति से उपचार किया जाता है। इसमें बीजों, मेग्नेट व रंग के माध्यम से मनुष्य के शरीर के बिगड़े संतुलन को संतुलित किया जाता है। सुजोक एक्यूपंक्चर में उपचार पंच तत्व वायु, अग्नि, पृथ्वी, आकाश व जल और छह ऊर्जाओं विंड, हीट, हॉटनेस, ह्यïूमीडीटी, ड्राइनेस व कोल्डनेस में संतुलन स्थापित किया जाता है।
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