गुना/मध्यप्रदेश. बच्चों को स्कूल से कुछ नया मिलना चाहिए। उन्हें पढ़ाई के साथ क्रियात्मक, भावनात्मक और सामाजिक बदलाव की बात बताई जाना चाहिए। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को अच्छे नंबरों की मार्कशीट देना, डिग्री देना, पढ़ाई कराना यह तो हमारा कर्तव्य है ही जिसकी पूर्ति फीस के बदले हम करते ही हैं। लेकिन अच्छे स्कूल की यही पहचान है कि उसका बच्चा घर जाकर कहे कि मैं स्कूल से आज कुछ लेकर आया हूं।
स्कूल प्रबंधन से जुड़ी तमाम बातें मैनेजमेंट गुरु और दैनिक भास्कर के मध्यप्रदेश संपादक एन रघुरामन ने वंदना कॉन्वेंट स्कूल में स्कूल प्रबंधन सहित शिक्षक- शिक्षिकाओं को बताईं। वे रोटरी क्लब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपना व्याख्यान देने के लिए पहुंचे थे इसी बीच उनका एक कार्यक्रम स्कूल में भी स्कूल प्रबंधन की मांग पर रखा गया। कार्यक्रम के बदले स्कूल प्रबंधन ने पुरस्कार स्वरूप कुछ राशि भेंट की जिसे श्री रघुरामन ने गरीब और जरूरतमंद बच्चों में बांटने के लिए स्कूल को दान कर दी। उन्होंने शिक्षकों को बताया कि बच्चों को कहानियां सबसे अधिक पसंद आती हैं यदि कोई विषय कहानी के रूप में चित्रों के माध्यम से समझाया जाए तो उन्हें बहुत अच्छे से समझ आता है।
बर्बाद कर देते हैं 8 मिनट -
मैनेजमेंट गुरु ने बताया कि प्रत्येक पीरियड में शिक्षक 8 मिनट का समय भूमिका बनाने में ही बर्बाद कर देता है। जबकि बिलकुल सहज तरीके से और सीधे टॉपिक पर बात की जाए तो बच्चे एकदम से जुड़े रहते हैं और सीरियल की तरह टॉपिक चलता रहता है। इसका फायदा यह रहता है कि फिर बच्चा स्कूल से खुद ही वंक मारने से बचता है।
समय का हो सही उपयोग -
स्कूल में पीरियड का समय कम होता है लेकिन उसे बेहतर तरीके से उपयोग किया जाए और नए विचारों और तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो बच्चों का भी मन लगता है और समय का भी सही उपयोग किया जा सकता है। एक व्यक्ति के पास इतनी ही राशि है जितने में वह सिर्फ 40 सेकंड का ही विज्ञापन दे सकता है। जिस तरह वह विज्ञापन बनता है ठीक उसी तरह क्लास के कम समय का भी बेहतर उपयोग होना चाहिए। मौके पर अध्यक्ष यशवंत अग्रवाल, सचिव रजनीश शर्मा, एसके सक्सेना, विनीत सेठ, जितेंद्र खुराना, अमित सोगानी सहित सदस्य, क्राइस्ट स्कूल के फादर सेवी सहित स्कूल प्रबंधन और स्टाफ उपस्थित था।
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