हिसार। क्रिसमस पर खुशियां बांटने वाला सेंटा असलियत में भले ही एक कल्पना हो। लेकिन इस मासूम के लिए तो वो चार युवा सेंटा बनकर ही आए हैं। इलाज के अभाव में जिंदगी और मौत से लड़ रहे एक तीन साल के मासूम रमन के लिए चार युवकों ने चर्च के बाहर मोमबत्तियां बेचकर तीन हजार रुपए जुटाए। डाक्टरों का कहना है कि बच्चे के इलाज के लिए रोज ढाई से तीन हजार रुपए चाहिए। मदद कर रहे युवक बेशक गरीब हैं, लेकिन वे अब पीछे नहीं हटेंगे। उन्हें उम्मीद है कि उनके इस कदम से और लोग भी मदद के लिए आगे आएंगे।
सिर में लगी है चोटरमन हिसार के सवरेदय अस्पताल में भर्ती है। दनौंदा गांव का रमन 11 दिन पहले ट्रैक्टर की चपेट में आ गया था। उसके सिर में चोट है। रमन चार भाई बहनों में सबसे छोटा है। उसकी मां संतरा मजदूरी कर बच्चों का पालन पोषण करती है। पिता का ढाई साल पहले निधन हो चुका है।
..क्योंकि दिल से अमीर हैं ये युवक
मासूम की मदद के लिए आगे आए चारों युवकों के नाम हैं सुधीर, संयम जैन, अजीत और विशाल। ये चारों दुकान पर नौकरी करते हैं और महीने में पांच से छह हजार रुपए कमाते हैं। इन चारों पर अपने परिवार की जिम्मेदारी भी है। इसके बावजूद इन्होंने तीन वर्षीय रमन का इलाज करने में मदद करने की ठानी है।
आइए हम भी हाथ बढ़ाएं : रमन के नाना जयभगवान को उम्मीद है कि इन चारों फरिश्तों की तरह और भी लोग मासूम की जान बचाने लिए आगे आएंगे। मासूम के नाना का यह विश्वास न टूटे। इन चार युवकों की तरह हम भी सेंटा बन सकते हैं..। तो आइए छोटी सी मदद कर सेंटा होने के मतलब को पूरा करें..।
..क्योंकि दिल से अमीर हैं ये युवक
मासूम की मदद के लिए आगे आए चारों युवकों के नाम हैं सुधीर, संयम जैन, अजीत और विशाल। ये चारों दुकान पर नौकरी करते हैं और महीने में पांच से छह हजार रुपए कमाते हैं। इन चारों पर अपने परिवार की जिम्मेदारी भी है। इसके बावजूद इन्होंने तीन वर्षीय रमन का इलाज करने में मदद करने की ठानी है।
आइए हम भी हाथ बढ़ाएं : रमन के नाना जयभगवान को उम्मीद है कि इन चारों फरिश्तों की तरह और भी लोग मासूम की जान बचाने लिए आगे आएंगे। मासूम के नाना का यह विश्वास न टूटे। इन चार युवकों की तरह हम भी सेंटा बन सकते हैं..। तो आइए छोटी सी मदद कर सेंटा होने के मतलब को पूरा करें..।
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