नोहर की भूमि से उठकर प्रवासी बने अनेक
उद्यमियों ने अपनी मेहनत, लगन व बुद्धि से व्यापार व उद्योग में अपना नाम
रोशन किया है। ऐसे ऊर्जावान व्यवसायी आमतौर पर वणिक समाज से होते हैं मगर
वर्तमान में जयपुर में बसे नोहर के प्रवासी पं. रामरतन जोशी ने
मेन्यूफेक्चरिंग क्षेत्र में कदम रखकर अपनी उद्यमिता का परिचय दिया है। 5
अगस्त 1942 को नोहर के पं. गणेशाराम जोशी के सामान्य परिवार में जन्मे पं.
रामरतन जोशी ने 1961 में दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद कलकत्ता की
प्लास्टिक फैक्टरी में नौकरी से अपना व्यावसायिक जीवन आरम्भ किया।
बचपन से ही आपकी सोच रंगमंच में रही। अत:
कलकत्ता में नौकरी के साथ महाविद्यालय में पढ़ाई व रंगमंच दोनों ही किये।
नोहर में होने वाली रामलीला में भी आप राम की भूमिका निभाते थे। कलकत्ता
में कला मंदिर के नाटक में भीम की भूमिका की। दो वर्ष नौकरी कर उसे त्याग
दिया और सप्लाई का कार्य हाथ में लिया। 1966 में जयपुर की रमा के साथ शादी
होने के बाद पत्नी के नाम से व्यवसाय आरम्भ कर दिया। मेहनती व कर्मठ पं.
रामरतन जोशी की आज जयपुर में दो प्लास्टिक फैक्टरियां व एक कलकत्ता में
कार्यरत हैं। दो पुत्रों व दो पुत्रियों के पिता रामरतन जोशी का एक पुत्र
व्यावसायिक क्षेत्र में है तो दूसरा फिल्म लाइन में।
यानी बेटों ने पिता के दोनों शौक पूरे कर
दिये। एक बेटी विदेश में है। 67 के जोशी जर्मनी, इंग्लैंड, कनाडा, अमरीका,
हांगकांग, मलेशिया, सिंगापुर, बेल्जियम आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं।
रामरतन जोशी मार्च 2007 में तत्कालीन उद्योग मंत्री से प्लास्टिक
मेन्यूफेक्चरिंग असोसिएशन राजस्थान के कार्यक्रम में सम्मानित हो चुके हैं।
इससे पूर्व सर्व ब्राह्मण महासभा जयपुर द्वारा व्यावसायिक क्षेत्र में
उल्लेखनीय कार्य के लिए 22 मई 2005 को ब्राह्मण रत्न का सम्मान आप प्राप्त
कर चुके हैं। अपनी जन्मभूमि नोहर कस्बे में सड़क व मंदिर का निर्माण करवाने
पर पुष्टिकर समाज समिति नोहर द्वारा 21 जनवरी 2007 को आपको अभिनन्दन पत्र
देकर सम्मानित किया गया। रामरतन जोशी अपने स्वास्थ्य व दीर्घायु का कारण
धर्म में आस्था व समाज सेवा के कार्य को मानते हैं। -
डॉ. श्रीधर शर्मा
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