समाज सेवा केन्द्र से रिहा कराई गई बंधक महिलाएं

देवरिया : महिलाओं की मदद के लिए कार्य करने वाली संस्था द्वारा कथित रूप से बंधक बना कर रखी गई दो महिलाओं सास-बहू को रविवार को कोतवाली पुलिस ने रिहा करा लिया। बाद में महिलाओं ने पुलिस को दी तहरीर में आरोप लगाया कि उन पर देह व्यापार के लिए दबाव डाला जा रहा था और शौचालय में बंद कर भारी यातनाएं दी गई। पुलिस अधीक्षक डीके चौधरी ने पूरे प्रकरण की जांच के निर्देश दिए हैं।



बरहज थानाक्षेत्र के पूर्वी पटेल नगर निवासी मुनाकी देवी पत्नी स्व. कन्हैया निषाद ने एसपी को सौंपे पत्र में जो कहा है, उसके मुताबिक जिला मुख्यालय स्थित उक्त संस्था द्वारा पिछले दिनों उन्हें नोटिस भेजा गया, जिसके तहत उनके सबसे छोटे बेटे हरि निषाद के दूसरी शादी कर लेने का आरोप लगाते हुए संस्था में उपस्थित होने का आदेश दिया गया, जिससे उनका परिवार डर गया। इस क्रम में मुनाकी ने अपने पुत्र सत्यनारायण व रिश्तेदार रामलाल को संस्था की संचालिका के पास बात करने भेजा। संस्था कार्यालय पर उसके पुत्र से संचालिका ने बीस हजार रुपये मांगे। 

पैसे देने में असमर्थता जताने के बाद उन्होंने दोनों को एक कमरे में बंद कर दिया। 18 अक्टूबर की शाम संचालिका सहित आधा दर्जन लोग बरहज स्थित उनके निवास पर पहुंचे और बहू दुर्गावती देवी के साथ उन्हें मारते पीटते गाड़ी में बिठाकर जिला मुख्यालय के रजला टोला स्थित अल्पवास केन्द्र पर ले गए। वहां पैसे की मांग की गई और न देने पर यातना दी जाती रही। यहां तक कि पानी मांगने पर पेशाब पिलाया गया।

मुनाकी के अनुसार 21 अक्टूबर को उनके पट्टीदार विनोद ने उन दोनों की रिहाई को लेकर संचालिका को पांच हजार रुपये भी दिए, लेकिन बीस हजार मिले बगैर रिहाई से इंकार किया। 22 अक्टूबर को उनका पुत्र सत्यनारायण संचालिका से मिलने गया, लेकिन उसे भगा दिया गया। इसके बाद सत्यनारायण ने पुलिस को मामले की जानकारी दी और वे रिहा हो सकीं।

बंधक बनाने का आरोप बकवास : संचालिका

महिला परामर्श केन्द्र की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी का कहना था कि पूरी घटना बकवास है। बरहज निवासी हरि निषाद ने पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी कर ली है। इसकी शिकायत पहली पत्नी द्रौपदी देवी ने 18 अक्टूबर को संस्था कार्यालय में दर्ज कराई, जिसे लेकर मैंने आरोपियों को नोटिस भेजा था। मुझ पर आरोप लगा रही दोनों महिलाएं संस्था कार्यालय आई थीं। दोनों ने हरि के विषय में जानकारी से इनकार किया और दोनों स्वेच्छा से संस्था के अल्पावास केन्द्र में रहने लगीं। गिरिजा त्रिपाठी का कहना था कि वे बीस वर्षो से समाजसेवा से जुड़ी हैं। मुझ पर रुपये मांगने, पेशाब पिलाने, देह व्यापार के लिए दबाव बनाने तथा बंधक बनाने के सभी आरोप गलत हैं। यह कुछ लोगों के इशारे पर संस्था को बदनाम करने की रची गई साजिश का हिस्सा है।
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