मन्दिर के बाहर ठंड का सामना कर रहे गरीब व असहाय लोगों को गर्म कपड़े बांटे

करनाल (अनिल लाम्बा) : मानव जीवन में आया और मानव रूपी कार्यों को ही ना कर अपने लिए ही जीवन जिया और चला गया इस वक्तव्य को यहाँ आज झुठलाते हुए अखिल भारतीय एकलव्य जनहित सोसाइटी ने एक अलग अंदाज़ में नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस क़ी जयंती मनाई | सोसाइटी के सदस्यों ने देर रात कुंजपुरा रोड स्थित सनातन धर्म मन्दिर के बाहर ठंड का सामना कर रहे गरीब व असहाय लोगों को सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े बांटे |


सोसाइटी के प्रधान वरुण आर्य ने कहा क़ि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के महानायक आज़ाद हिंद फ़ौज के संस्थापक और जय हिंद का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस का जन्म तेईस जनवरी अठारह सौ सतानवे को उड़ीसा क़ी कटक नामक नगरी में हुआ था | अपनी विशिष्टत़ा तथा अपने व्यक्तितव व उपलब्धियों क़ी वजह से सुभाष चन्द्र बॉस भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं | उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम के अंतिम पच्चीस वर्षों के दौरान उनकी भूमिका एक सामाजिक क्रांतिकारी क़ी रही और वे एक अद्वितीय राजनितिक योधा के रूप में उभर कर सामने आये | एकलव्य नेत्रदान क्लब के जिला उपाध्यक्ष दिनेश बख्शी ने कहा कि गरीब, असहाय व जरुरतमंदों कि सहायता ही सच्ची मानवता है और नेता जी जैसे महान व्यक्तितव को याद करने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है | हम सभी को गरीबों कि मदद के लिए आगे आना चाहिए | उन्होंने कहा कि एकलव्य सोसाइटी हर वर्ष सर्दियों में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करके गरीबों को वस्त्र बांटती है | 

सर्दियों में गरीबों को कपड़े देना उनको एक प्रकार से प्राण दान देना है | उन्होंने कहा कि गर्म कपड़े पाकर गरीब लोग सर्दी से अपना बचाव कर सकते हैं | युवा समाजसेवी विपुल ने बताया कि सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर भी सोसाइटी के ग्रुप “इन्कलाब जिंदाबाद-लॉग दा रेवोल्यूशन” के तत्वाधान में नेताजी क़ी जयंती मनाई जा रही है | उन्होंने कहा क़ि नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस का जन्म उस समय हुआ था जब भारत में अहिंसा और असहयोग आन्दोलन अपनी प्रारम्भिक अवस्था में थे | इन आंदोलनों से प्रभावित होकर उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई | नेताजी का योगदान और प्रभाव इतना बड़ा था क़ि कहा जाता है क़ि अगर आज़ादी के समय नेताजी भारत में उपस्थित रहते तो शायद भारत एक संघ राष्ट्र बना रहता और भारत का विभाजन ना होता | 

वीणा देवी व सिया राम ने कहा क़ि छ: जुलाई उन्नीस सौ चवालीस को आज़ाद हिंद रेडियो पर अपन भाषण के माध्यम से गांधी जी से बात करते हुए नेताजी ने जापान से सहायता लेने का अपना कारण और आज़ाद हिंद फ़ौज क़ी स्थापना के उद्देश्य के बारे में बताया | इस भाषण के दौरान नेताजी ने गांधी जी को राष्ट्रपिता बुलाकर अपनी जंग के लिए उनका आशीर्वाद माँगा | इस प्रकार नेताजी ने गांधी जी को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता बुलाया |

With Thanks: himachalpress.com
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