रायपुर/तिल्दा-नेवरा। मरणोपरांत अपना देहदान करने वाली गौरी बाई के परिजनों ने एक पुतला बनाया, घर से उनकी देह की जगह पुतले को रखकर शवयात्रा निकाली गई और सिंधी सार्वजनिक श्मशान घाट में विधिविधान से अंतिम संस्कार किया गया।
शहर की समाजसेवी संस्था नरेश मित्र मंडल द्वारा मरणोपरांत आंखों का दान करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है,साथ ही देहदान के लिए संस्था ने प्रयास किया, इसका परिणाम मंगलवार को सामने आया। शहर की 90 वर्षीय गौरी बाई जिसने मरणोपरांत अपना देहदान करने की इच्छा परिजनों से जताई थी।
मंगलवार को उनका निधन होने पर रिश्तेदारों ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए नरेश मित्र मंडल को देहदान की खबर की गई। इस संस्था से सहयोग और बढ़ते कदम संस्था के मार्गदर्शन में गौरी बाई का पार्थिव शरीर मेडिकल कालेज रायपुर को सौंपा गया। इस तरह गौरी बाई तिल्दा की देहदान करने वाली पहली महिला बन गई।
नरेश मित्र मंडल के हीरानंद वाधवा, दिलीप पंजवानी, कन्हैया हरिरमानी ने बताया कि देहदान के लिए 11 लोगों ने इच्छा जताकर फार्म भरकर समाजसेवी संस्था नरेश मित्र मंडल को दिया है। ज्ञात हो कि नरेश मित्र मंडल ने अब तक लोगों को प्रेरित कर 27 आंखों का दान कराया जा चुका है। गौरी बाई ने देहदान करते वक्त कहा था कि खाक होने से अच्छा है कि मेरा शरीर किसी के काम आए।
उधर गौरी बाई के देहदान के बाद बुधवार की सुबह उनके घर में घास का पुतला बनाकर शैया पर गौरी बाई के रूप में लेटाया गया, शवयात्रा निकाली गई और श्मशान घाट में विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे। उनके उत्तराधिकारी रघुराम वाधवानी ने मुखाग्नि दी।
दधीचि के जीवन से लें प्रेरणा
समाज में देहदान व अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। मनुष्य की मौत के बाद भी उसके शरीर के कई अंग दूसरों के काम आ सकते हैं। इसके लिए देहदान व अंग दान के बारे में फैली हुई भ्रांति को दूर करने इसकी जानकारी को प्रसारित करने की आवश्यकता है। नरेश मित्र मंडल के कन्हैया हरिरमानी, राजा खूबचंदानी ने कहा कि महर्षि दधीचि के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत हैं। इससे समाज के उन लोगों का भला होगा जो किसी अंग विशेष की कमी से सामान्य जीवन नहीं जी पाते हैं।
मंगलवार को उनका निधन होने पर रिश्तेदारों ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए नरेश मित्र मंडल को देहदान की खबर की गई। इस संस्था से सहयोग और बढ़ते कदम संस्था के मार्गदर्शन में गौरी बाई का पार्थिव शरीर मेडिकल कालेज रायपुर को सौंपा गया। इस तरह गौरी बाई तिल्दा की देहदान करने वाली पहली महिला बन गई।
नरेश मित्र मंडल के हीरानंद वाधवा, दिलीप पंजवानी, कन्हैया हरिरमानी ने बताया कि देहदान के लिए 11 लोगों ने इच्छा जताकर फार्म भरकर समाजसेवी संस्था नरेश मित्र मंडल को दिया है। ज्ञात हो कि नरेश मित्र मंडल ने अब तक लोगों को प्रेरित कर 27 आंखों का दान कराया जा चुका है। गौरी बाई ने देहदान करते वक्त कहा था कि खाक होने से अच्छा है कि मेरा शरीर किसी के काम आए।
उधर गौरी बाई के देहदान के बाद बुधवार की सुबह उनके घर में घास का पुतला बनाकर शैया पर गौरी बाई के रूप में लेटाया गया, शवयात्रा निकाली गई और श्मशान घाट में विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे। उनके उत्तराधिकारी रघुराम वाधवानी ने मुखाग्नि दी।
दधीचि के जीवन से लें प्रेरणा
समाज में देहदान व अंगदान के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। मनुष्य की मौत के बाद भी उसके शरीर के कई अंग दूसरों के काम आ सकते हैं। इसके लिए देहदान व अंग दान के बारे में फैली हुई भ्रांति को दूर करने इसकी जानकारी को प्रसारित करने की आवश्यकता है। नरेश मित्र मंडल के कन्हैया हरिरमानी, राजा खूबचंदानी ने कहा कि महर्षि दधीचि के जीवन से प्रेरणा लेने की जरूरत हैं। इससे समाज के उन लोगों का भला होगा जो किसी अंग विशेष की कमी से सामान्य जीवन नहीं जी पाते हैं।
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