जरूरतमंदों के लिए हमेशा खुले रहते हैं उसके दरवाजे

आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी जिसमें किसी को किसी से बात करने तक की फुर्सत नहीं है, हर व्यक्ति तनावग्रस्त है, पेट पालने का जुगाड़ करने की सोचने के अतिरिक्त मन में कोई बात नहीं है। उसके लिए वृद्धों, अपंगों, गरीबों की सहायता करना तो दूर इस के बारे में सोचना भी असंभव है। वहीं इसी भागदौड़ भरी  जिन्दगी में करनाल जिले की एक महिला जिसने अपना ध्येय मानव सेवा बना रखा है। नर सेवा को नारायण सेवा मानने वाली यह महिला मानव सेवा के साथ-साथ  अपनी घरेलू जिन्दगी का भी बडी़ बेखूबी से निर्वाह कर रही है।


करनाल जिले की दुर्गा कालोनी की रहने वाली सुनीता चौधरी एक ऐसी सशक्त महिला हैं  जिसके घर के दरवाजे गरीबों, जरूरतमदों, बेसहारा महिलाओं के लिए  24 घटें खुले रहते हंै। कोई भी जरूरतमंद किसी भी समय इस महिला के घर आकर अपनी फरियाद सुना देता है और यह महिला अपनी ओर से हर सभंव प्रयास कर उसका दु:ख दूर करने की कोशिश करती हंै। सुनीता चौधरी शादीशुदा है तथा 2 बच्चों की मां है। इस महिला के बारे में एक विशेष पहलू यह है कि इन्होंने स्वंय स्वस्थ होते हुए भी एक शत प्रतिशत विकलांग व्यक्ति से शादी की हुई है जोकि एक बहुत बड़ी बात है। उनकी इस शादी का सुनीता के घर वालों की ओर से काफी विरोध भी किया गया लेकिन इनके तर्क के आगे उन लोगों को झुकना पड़ा। सुनीता चौधरी ने बताया कि समाज सेवा का शौक उन्हें शादी से पहले ही था।

शादी के बाद उनके इस शौक को पति ने बरकरार रखते हुए उनका भरपुर साथ दिया। इन्होंने महिला एंव समाज कल्याण समिति के नाम से एक सामाजिक सस्ंथा  का गठन किया। इसके बैनर तले इन्होंने खुले रूप से समाज सेवा करने का बीड़ा उठाया। उनकी इस सस्ंथा को बने अब चार वर्ष हो गए हैं। सस्ंथा के द्वारा गरीब कन्याओं की शादी, गरीबों में राशन बांटना, विधवाओं, बुढों, बच्चों एंव असहाय मरीजों की सेवा करना, उनको दवाईयां उपलब्ध करवाना, असहायों को आश्राय प्रदान करवाना, लावारिसों का दाह सस्कांर करवाना, गर्म कपड़े वितरित करना, राशन सामग्री बांटना, ट्राई साईकिल बांटना आदि विशेष कार्य किए है। इसके अतिरिक्त पोलियो कैम्प, गरीबों को मुफ्त नजर के चशमें बनवा कर देना इत्यादि कार्य भी सस्ंथा द्वारा समय-समय पर किये जाते हैं। सुनीता चौधरी ने बताया कि उनकी इस संस्था को  चलाने में उनके पति राजेश चौधरी जोकि सस्थंा के सरक्षंक भी हैं का अहम यागदान रहा हैं।

सुनीता ने बताया कि उनकी सस्ंथा अब तक सैकड़ों कन्याओं की  शादी  करवा चुकी हैं।  इस शादी  में उनकी सस्ंथा  की ओर से लड़की को जरूरी सामान  दिया जाता है। जिस पर लगभग 20000 रूपए के करीब खर्चा आ जाता है।  अभी हाल में अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार  के खिलाफ चलाये गये आदोंलन एवं करनाल की उपायुक्त  नीलम प्रदीप  कासनी द्वारा चलाये गये भ्रूण हत्या के खिलाफ मुहिम में भी उनकी सस्ंथा हिस्सा लेकर इस बुराई का विरोध करती आ रही हैं।सुनीता चौधरी ने बताया  कि उनकी सस्ंथा को कोई भी सरकारी सहायता नहीं मिलती है। समाज सेवा के कार्यो को करने के लिऐ पैसे का प्रंबध उनकी संस्था के सदस्य  हल्के के प्रत्येक गांवों, शहरों के घरों में जा-जा कर इकट्ठे करते हैं। इस कार्य में उनकी सस्ंथा के सदस्य सरोज बाला, माला शर्मा, सुधा रानी, सीमा रानी, सपना, लाजवन्ती, डॉ सुनील पाहुजा, अनीता, रामकुमार एंव डॉ निशा शर्मा  सहित  सैकडा़े महिला एंव पुरूष कार्यकर्ता सहयोग दे रहे हैं। सुनीता ने बताया कि  वह रोजाना घर से दस बजे के करीब निकलती है और शाम तक समाज सेवा में जुटी रहती है।

उन्होंने कहा कि अगर उनकी सस्ंथा को सरकारी सहायता समाज सेवा के कार्यो के लिए मिलनें लग जाऐं तो वह ओर अधिक समाज सेवा के कार्य कर सकती है।इस पुरूष प्रधान समाज में एक महिला जिसके ऊपर दो बच्चों एंव विकंलाग पति की जिम्मेदारी भी है, इतनी बड़ी समाज सेवा के कार्यो को कर सकती है तो हम सब लोगों को सुनीता चौधरी जैसी महिला से सीख अवश्य लेनी चाहिए। आज  महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कधें से कध्ंाा  मिलाकर चल रही हैं। अब महिलाओं को कम आंकना बहुत ही गलत बात होगी। 
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February 10, 2012 at 10:40 AM

सार्थक एवं सारगर्भित आलेख....

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