IIM से डिग्री लेकर क्या कोई गांव लौटता है ?

लेकिन आईआईएम कलकत्ता से एमबीए करने वाली पूजा मिश्रा ने बड़ी कंपनी में मोटी तनख्वाह पर प्लेसमेंट को ठुकरा अपने गांव लौटने का फैसला किया है। सोमवार को आईआईएम-कलकत्ता का दीक्षांत समारोह आयोजित किया जा रहा है, जहां पूजा को एमबीए की डिग्री दी जाएगी।
यह पहला मौका नहीं है जब पूजा ने मोटी तनख्वाह वाली नौकरी को 'ना' कहा है। इससे पहले शिकागो में उन्होंने इन्फोसिस की नौकरी सिर्फ इसलिए छोड़ दी थी कि उन्हें आईआईएम में पढ़ाई करनी थी। पूजा की स्कूली शिक्षा लखनऊ में हुई। इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस में लखनऊ से ही इंजीनियरिंग की। बीटेक करने के बाद पूजा को इन्फोसिस के बेंगलुरु कैंपस में नौकरी मिली। यहां एक साल काम करने के बाद वे अमेरिका चली गईं, जहां उनकी मुलाकात शशांक शुक्ल से हुई। बाद में शशांक से पूजा की शादी हुई। शशांक को चोट लगने की वजह से एनडीए छोड़ना पड़ा था। जब पूजा का आईआईएम कलकत्ता में दाखिला हो रहा था, उस समय पूजा को इन्फोसिस ने ग्रीन कार्ड की पेशकश थी।

पूजा का कहना है कि उन्होंने हमेशा ही गांव के बच्चों को पढ़ाने का सपना देखा है। एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में पूजा ने कहा, 'मेरा पैतृक निवास रायबरेली जिले में है, इसलिए मैं ग्रामीण भारत से वाकिफ हूं। वहां छात्रों को 35 किलोमीटर की दूरी तय कर कॉलेज जाना पड़ता है। मेरे पिता मुझसे हमेशा यही कहते थे तुम बहुत भाग्यशाली हो लेकिन तुम्हारी पढ़ाई लिखाई बेकार होगी अगर तुमने गांव के बच्चों के लिए कुछ नहीं किया।'
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June 2, 2012 at 1:46 AM

nice i like your thought

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