विरासत में मिली है समाज सेवा

मूलरूप से राजस्थान, नागौर के लेनी नामक गांव से संबंध रखने वाले धनराज अग्रवाल का जन्म सन् 1943 में मुंबई में हुआ था। बीएससी तक शिक्षा प्राप्त श्री धनराज अग्रवाल को समाज सेवा विरासत में मिली है। उनके पिता नंदलालजी अग्रवाल भी प्रसिद्ध समाज सेवक थे। इनका परिवार शुरूआत से ही जनसंघ से जुड़ा हुआ है इसलिए सादगी और अनुशासित रहना इनकी आदत में शामिल हो गया।



भाइंर्दर पश्चिम में नमक का उत्पादन और खरीद-बिक्री व्यापार कर चुके श्री धनराज अग्रवाल मुंबई की जालान डाइंर्ग और सय्याजी जैसी टेक्सटाइल मिलों में नौकरी भी कर चुके हैं। वर्तमान समय में वितरक के पेशे से जुड़े श्री अग्रवाल में उम्र के बारहवें वर्ष से ही समाजसेवा की भावना घर कर गई थी। नौकरी और व्यवसाय के दौरान भी अपना कुछ समय सामाजिक कार्यों के लिए निकाल ही लेते थे। समाजसेवा के प्रति उनकी ललक को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के मिरा भाइंर्दर जिला अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और वर्तमान समय में वे भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं। 

दस साल तक लगातार नगरसेवक रह चुके श्री धनराज अग्रवाल की जीवनशैली में अब भी किसी प्रकार का बदलाव नहीं देखा जा सकता। विनम्र और मिलनसार स्वभाव, सादा जीवन उच्च विचार के परिचायक धनराजजी मिरा भाइंर्दर से लेकर मुंबई और ठाणे के लोगों  के बीच किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। भाइंर्दर के इतिहास में अहम योगदान देनेवाले इनके परिवार ने यहां राजस्थानी समाज को एक जूट करने में अहम भूमिका निभाई। लॉयन्स क्लब के प्रेसिडेंट रह चुके धनराजजी वर्तमान समय में अग्रवाल समाज, सामाजिक संस्था परमार्थ सेवा समिति और मर्चेंट एसोसिएशन जैसी अनेक संस्थाओं के अध्यक्ष हैं और भाइंर्दर पश्चिम स्थित प्रसिद्ध राम मंदिर के ट्रस्टी व उपाध्यक्ष भी हैं।

एक पुत्री और दो बेटों के पिता धनराजजी अपने व्यापार, राजनैतिक व सामाजिक जीवन में संतुलन बनाकर अपने पारिवारिक कर्तव्यों को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। मृदुभाषी धनराजजी की सभी संतान अपना घर बसा चुकी हैं। भौतिक और आधुनिकतावादी इस जमाने में इनका संयुक्त परिवार समाज के अनय परिवारों के बीच एक उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है और इससे प्रेरणा ली जा सकती है। इनके बड़े बेटे कौलाश अग्रवाल ने अपने पिता के व्यवसाय को विरासत के रूप में स्वीकार किया है जबकि छोटे बेटे निरंजन अग्रवाल ने उच्च शिक्षा प्राप्त की और डॉक्टरी पेशे को अपनाते हुए वर्तमान समय में भाइंर्दर पश्चिम स्थित सालासर नर्सिंग हों का संचालन कर रहे हैं। इतना ही नहीं डॉ. निरंजन अग्रवाल मुंबई ही नहीं बल्कि देश के प्रसिद्ध मुंबई हॉस्पिटल में सर्जन भी हैं। उन्होंने अपने पिता से प्रेरणा लेते हुए समाजसेवा से जुड़े कार्यों में अकसर अग्रिम स्थान पाया है ौर डॉक्टरों की संस्था कंसल्टेंट एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष पद पर विराजमान हैं। 

मुंबई सहित मिरा भाइंर्दर शहर में सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन करने वाली संस्था परमार्थ सेवा समिति के मिरा भाइंर्दर समिति के अध्यक्ष धनराज अग्रवाल भारतीय जनता पार्ची में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पुराने दिनों को याद रते हुए श्री धनराज अग्रवाल कहे हैं कि पहली बार जब उन्हें नगरसेवक पद के लिए उम्मीदवारी सौंपी गई तब वे घबरा गये थे। अपने जीत की कम संभावना रखनेवाले धनराज अग्रवाल के लिए नगरसेवक चुनाव का परिणाम अप्रत्याशित ही लगा क्योंकि उन्हें तब तक अहसास नहीं था कि स्थानीय जनता उनसे प्यार करने के साथ-साथ उनका सम्मान भी करती है। वह पल मेरे जीवन का सबसे सुखद क्षण थे। 

भाइंर्दर में राजस्थानी समाज को बसाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गाडोदिया परिवार के धनराजजी कई सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं परंतु उन्हें अफसोस है कि राजस्थानी समाज पूरी तरह से एकजुट नहीं हो पाया है एवं जातीय आधार पर कई गुटों में बंट गया है। उनकी दिली ख्वाहिश है कि समूचा राजस्थानी समाज एक सूत्र में बंधे। इस दिशा में वे अभी भी आशावान है और हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इनकी चाहत है कि एक ऐसे राजस्थानी समाज का निर्माण करें जिसमें राजस्थान से आकर यहां बसने वाले सबी अप्रवासी लोग शामिल हों। लोगों को अपने संदेश में अग्रवालजी का मात्र इतना ही कहना है कि अपने साथ-साथ कुछ समय समाज के कामों के लिए भी निकालना चाहिए।
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